प्रश्न - पुरस्कार

संघ की राजभाषा नीति

राजभाषा के प्रयोग प्रसार के संबंध में भारत के संविधान में अलग-अलग उपबंध है:-

अनुच्छेद 343(1) में यह व्यवस्था है कि संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।

अनुच्छेद 343(2) में यह व्यवस्था है कि संविधान लागू होने के समय से 15 वर्ष की अवधि अर्थात 1965 तक उन शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए संविधान लागू होने से पहले किया जा रहा था।

परन्तु राष्ट्रपति इस अवधि में भी अर्थात 1965 से पहले भी आदेश निकाल कर किसी काम के लिए अंग्रेजी के अलावा हिन्दी का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेंगे। (राष्ट्रपति के आदेश 1952, 1955 एवं 1960 में जारी किये)

अनुच्छेद 344 (1) में यह व्यवस्था है कि संविधान के प्रारंभ से 5 वर्ष की समाप्ति पर और तत्पश्चात् ऐसे प्रारंभ से 10 वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक आयोग की नियुक्ति की जाएगी जो अन्य बातों के साथ-साथ संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग तथा सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सिफारिश करेगा। (आयोग की स्थापना 1955 में हुई और रिपोर्ट 1956 में प्राप्त हुई। इस पर 1956 में संसदीय समिति गठित की गई)।

अनुच्छेद 344 (4) में यह व्यवस्था है कि एक संसदीय समिति का गठन किया जाएगा जिसमें लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे। यह समिति संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग की प्रगति की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को देगी। ( 1956 में संसदीय समिति गठित हुई और अब तक चल रही है ) ।

अनुच्छेद 345 में यह व्यवस्था है कि राज्य का विधान मंडल राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिन्दी को अपने सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा के रूप में अंगीकार कर सकेगा।

अनुच्छेद 348 (1) में यह व्यवस्था है कि जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में की गई कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में होगी किन्तु इस अनुच्छेद के खंड (2) में यह व्यवस्था है कि राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से अपने राज्य में स्थित उच्च न्यायालय में हिन्दी भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकता है।

अनुच्छेद 351 में यह व्यवस्था है कि संघ का कर्तव्य होगा कि वह हिन्दी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे, उसकी समृद्धि सुनिश्चित करें। गृह मंत्रालय इसके लिए प्रति वर्ष वार्षिक कार्यक्रम तैयार करता है जिसमें विभिन्न मदों में हिन्दी प्रयोग के लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं।

1968 में संसद द्वारा एक संकल्प पारित किया गया जिसके अनुसार हिन्दी के उत्तरोतर प्रयोग हेतु एक अधिक गहन और व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाता है और प्रगति की विस्तृत वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट संसद के पटल पर रखी जाती है।

अनुच्छेद 120 (1) के अनुसार संसद में कार्य हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जाएगा परन्तु यथास्थिति राज्यसभा का सभापति या लोकसभा का अध्यक्ष किसी सदस्य को जो हिन्दी या अंग्रेजी में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता, अपनी मातृभाषा में बोलने की अनुमति दे सकेगा। 120 (7) में राज्य के विधान मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या भाषाओं में या हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जायेगा।

                राजभाषा आयोग और संसदीय समिति की सिफ़ारिशों पर अमल करने की दृष्टि से 1963 में राजभाषा अधिनियम बनाया गया जिसमें 1967 में संशोधन किया गया। संशोधित राजभाषा अधिनियम के मुख्य उपबंध इस प्रकार हैं-

                राजभाषा अधिनियम की धारा 3 (3) के अनुसार उन सभी प्रयोजनों के लिए, जिनके लिए 26 जनवरी, 1965 से पूर्व अंग्रेजी इस्तेमाल की जा रही थी, 26 जनवरी, 1965 के बाद भी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी का प्रयोग जारी रखा जाएगा।

                केंद्रीय सरकार और हिंदी को राजभाषा के रूप में न अपनाने वाले राज्यों के साथ पत्र व्यवहार अंग्रेजी में होगा, बशर्ते कि उस राज्य ने इसके लिए हिंदी के प्रयोग को स्वीकार न किया हो। इसी प्रकार हिंदी भाषी सरकारें भी उपर्युक्त राज्य सरकार के साथ अंग्रेजी में पत्र व्यवहार करेगी और यदि वे ऐसे राज्यों को पत्र हिंदी में भेजे तो उसके साथ अंग्रेजी अनुवाद भी भेजा जाएगा।

                                केंद्रीय सरकारी कार्यालयों आदि के बीच पत्र व्यवहार के लिए हिंदी अथवा अंग्रेजी का प्रयोग किया जा सकता है लेकिन जब तक संबंधित कार्यालयों के कर्मचारी हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त नहीं करते तब तक पत्र का दूसरी भाषा में अनुवाद उपलब्ध कराया जाता रहेगा।

                राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के अनुसार निम्नलिखित के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों का ही प्रयोग अनिवार्य है  -

1.             संकल्प

2.             सामान्य आदेश

3.             नियम

4.             अधिसूचनाएं

5.             प्रशासनिक और अन्य रिपोर्ट या प्रेस विज्ञप्तियां

6.             संसद के किसी सदन या सदनों के समक्ष रखी गई   अन्य रिपोर्ट और अन्य सरकारी कागज-पत्र

7.             करार

8.             लाइसेंस

9.             परमिट

10.          निविदा सूचना और इनके प्रारूप तथा आरक्षण      चार्ट।

                अधिनियम की धारा 3(4) के अनुसार इस अधिनियम के अधिनियम बनाते समय- समय यह सुनिश्चित करना होगा कि हिंदी या अंग्रेजी दोनों भाषाओं में से किसी एक भाषा में प्रवीण कर्मचारी प्रभावी रूप से अपना काम कर सकें और केवल इस आधार पर कि वे दोनों भाषाओं में प्रवीण नहीं हैं, उनका अहित न हो।

                संशोधित अधिनियम में यह भी व्यवस्था है कि अंग्रेजी का प्रयोग जारी रखने के बारे में यह व्यवस्था तब तक चलती रहेगी जब तक कि इसे समाप्त करने के लिए हिंदी के राजभाषा के रूप में न मानने वाले राज्यों के विधान मंडल संकल्प पास न करें और उसके बाद ऐसा कार्य करने के लिए संसद संकल्प पास न करें।

                राजभाषा नियम की धारा 4 में 26 जनवरी 1976 के बाद संसदीय राजभाषा समिति के गठन का प्रावधान है। इस समिति के 20 सदस्य लोकसभा के और 10 सदस्य राज्यसभा के होंगे। यह समिति संघ के प्रयोजनों के लिए हिंदी प्रयोग की प्रगति की जांच करेगी और रिपोर्ट राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत करेगी।

                राजभाषा संशोधन अधिनियम के फलस्वरूप सरकारी कर्मचारी अपने कामकाज में हिंदी या अंग्रेजी में से किसी भी भाषा का प्रयोग करने में स्वतंत्र है और हिंदी या अंग्रेजी भाषा में तैयार किए गए नोट या ड्राफ़्ट का दूसरी भाषा में अनुवाद उसे स्वयं नहीं देना पड़ता किन्तु कुछ प्रयोजनों के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग अनिवार्य है। इस तरह सरकारी कामकाज में द्विभाषिक स्थिति काफी अर्से तक चलेगी। इस द्विभाषिक नीति के लिए यह जरूरी है कि हिंदी न जानने वाले केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी हिंदी सीखें ताकि वे हिंदी में लिखे हुए नोट और मसौदे पढ़ और समझ सके।

                राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) नियम, 1976

(यथा संशोधित, 1987, 2007 तथा 2011)

सा.का.नि. 1052 --राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) की धारा 3 की उपधारा (4) के साथ पठित धारा 8 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुएकेन्द्रीय सरकार निम्नलिखित नियम बनाती हैअर्थातः-

1. संक्षिप्त नामविस्तार और प्रारम्भ--

(क) इन नियमों का संक्षिप्त नाम राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) नियम, 1976 है।

(ख) इनका विस्तारतमिलनाडु राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर है।

(ग) ये राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को प्रवृत्त होंगे।

2. परिभाषाएँ-- इन नियमों मेंजब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न होः-

(क) 'अधिनियमसे राजभाषा अधिनियम, 1963 (1963 का 19) अभिप्रेत है;

(ख) 'केन्द्रीय सरकार के कार्यालयके अन्तर्गत निम्नलिखित भी हैअर्थातः-

(क) केन्द्रीय सरकार का कोई मंत्रालयविभाग या कार्यालय;

(ख) केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किसी आयोगसमिति या अधिकरण का कोई कार्यालयऔर

(ग) केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व में या नियंत्रण के अधीन किसी निगम या कम्पनी का कोई कार्यालय;

(ग) 'कर्मचारीसे केन्द्रीय सरकार के कार्यालय में नियोजित कोई व्यक्ति अभिप्रेत है;

(घ) 'अधिसूचित कार्यालयसे नियम 10 के उपनियम (4) के अधीन अधिसूचित कार्यालयअभिप्रेत है;

(ङ) 'हिन्दी में प्रवीणतासे नियम 9 में वर्णित प्रवीणता अभिप्रेत है ;

(च) 'क्षेत्र कसे बिहारहरियाणाहिमाचल प्रदेशमध्य प्रदेशछत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूहदिल्ली संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है;

(छ) 'क्षेत्र खसे गुजरातमहाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़दमण और दीव तथा दादरा और नगर हवेली  संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत हैं;

(ज) 'क्षेत्र गसे खंड (च) और (छ) में निर्दिष्ट राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से भिन्न राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है;

(झ) 'हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञानसे नियम 10 में वर्णित कार्यसाधक ज्ञान अभिप्रेत है ।

3. राज्यों आदि और केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से भिन्न कार्यालयों के साथ पत्रादि-

(1) केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क्षेत्र 'में किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र को या ऐसे राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) या व्यक्ति को पत्रादि असाधारण दशाओं को छोड़कर हिन्दी में होंगे और यदि उनमें से किसी को कोई पत्रादि अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उनके साथ उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा।

(2) केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से--

(क) क्षेत्र 'में किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र को या ऐसे राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) को पत्रादि सामान्यतया हिन्दी में होंगे और यदि इनमें से किसी को कोई पत्रादि अंग्रेजी में भेजे जाते हैं तो उनके साथ उनका हिन्दी अनुवाद भी भेजा जाएगा परन्तु यदि कोई ऐसा राज्य या संघ राज्य क्षेत्र यह चाहता है कि किसी विशिष्ट वर्ग या प्रवर्ग के पत्रादि या उसके किसी कार्यालय के लिए आशयित पत्रादि संबद्ध राज्य या संघ राज्यक्षेत्र की सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि तक अंग्रेजी या हिन्दी में भेजे जाएं और उसके साथ दूसरी भाषा में उसका अनुवाद भी भेजा जाए तो ऐसे पत्रादि उसी रीति से भेजे जाएंगे ;

(ख) क्षेत्र 'के किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में भेजे जा सकते हैं।

(3) केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क्षेत्र 'में किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र को या ऐसे राज्य में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो)या व्यक्ति को पत्रादि अंग्रेजी में होंगे।

(4) उप नियम (1) और (2) में किसी बात के होते हुए भीक्षेत्र 'में केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से क्षेत्र ''या''में किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र को या ऐसे राज्य में किसी कार्यालय (जो केन्द्रीय सरकार का कार्यालय न हो) या व्यक्ति को पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं । परन्तु हिन्दी में पत्रादि ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या,हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और उससे आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे।

4. केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि-

(क) केन्द्रीय सरकार के किसी एक मंत्रालय या विभाग और किसी दूसरे मंत्रालय या विभाग के बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं;

(ख) केन्द्रीय सरकार के एक मंत्रालय या विभाग और क्षेत्र 'में स्थित संलग्न या अधीनस्थ कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी में होंगे और ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकारऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्याहिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और उससे संबंधित आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुएसमय-समय पर अवधारित करे;

(ग) क्षेत्र 'में स्थित केन्द्रीय सरकार के ऐसे कार्यालयों के बीचजो खण्ड (क) या खण्ड (ख) में विनिर्दिष्ट कार्यालयों से भिन्न हैंपत्रादि हिन्दी में होंगे;

(घ) क्षेत्र 'में स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों और क्षेत्र 'या ''में स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं;

परन्तु ये पत्रादि हिन्दी में ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या,हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और उससे आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे ;

(ङ) क्षेत्र 'या 'में स्थित केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों के बीच पत्रादि हिन्दी या अंग्रेजी में हो सकते हैं;

परन्तु ये पत्रादि हिन्दी में ऐसे अनुपात में होंगे जो केन्द्रीय सरकार ऐसे कार्यालयों में हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की संख्या,हिन्दी में पत्रादि भेजने की सुविधाओं और उससे आनुषंगिक बातों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर अवधारित करे ;

परन्तु जहां ऐसे पत्रादि--

(i) क्षेत्र 'या क्षेत्र 'किसी कार्यालय को संबोधित हैं वहां यदि आवश्यक हो तोउनका दूसरी भाषा में अनुवादपत्रादि प्राप्त करने के स्थान पर किया जाएगा;

(ii) क्षेत्र 'में किसी कार्यालय को संबोधित है वहांउनका दूसरी भाषा में अनुवादउनके साथ भेजा जाएगा;

परन्तु यह और कि यदि कोई पत्रादि किसी अधिसूचित कार्यालय को संबोधित है तो दूसरी भाषा में ऐसा अनुवाद उपलब्ध कराने की अपेक्षा नहीं की जाएगी ।

5. हिन्दी में प्राप्त पत्रादि के उत्तर--

नियम 3 और नियम 4 में किसी बात के होते हुए भीहिन्दी में पत्रादि के उत्तर केन्द्रीय सरकार के कार्यालय से हिन्दी में दिए जाएंगे ।

6. हिन्दी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग-

अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (3) में निर्दिष्ट सभी दस्तावेजों के लिए हिन्दी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग किया जाएगा और ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों का यह उत्तरदायित्व होगा कि वे यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसी दस्तावेजें हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही में तैयार की जाती हैंनिष्पादित की जाती हैं और जारी की जाती हैं।

7. आवेदनअभ्यावेदन आदि-

(1) कोई कर्मचारी आवेदनअपील या अभ्यावेदन हिन्दी या अंग्रेजी में कर सकता है।

(2) जब उपनियम (1) में विनिर्दिष्ट कोई आवेदनअपील या अभ्यावेदन हिन्दी में किया गया हो या उस पर हिन्दी में हस्ताक्षर किए गए होंतब उसका उत्तर हिन्दी में दिया जाएगा।

(3) यदि कोई कर्मचारी यह चाहता है कि सेवा संबंधी विषयों (जिनके अन्तर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियां भी हैं) से संबंधित कोई आदेश या सूचना,जिसका कर्मचारी पर तामील किया जाना अपेक्षित हैयथास्थितिहिन्दी या अंग्रेजी में होनी चाहिए तो वह उसे असम्यक् विलम्ब के बिना उसी भाषा में दी जाएगी।

8. केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में टिप्पणियों का लिखा जाना -

(1) कोई कर्मचारी किसी फाइल पर टिप्पण या कार्यवृत्त हिंदी या अंग्रेजी में लिख सकता है और उससे यह अपेक्षा नहीं की जाएगी कि वह उसका अनुवाद दूसरी भाषा में प्रस्तुत करे।

(2) केन्द्रीय सरकार का कोई भी कर्मचारीजो हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखता हैहिन्दी में किसी दस्तावेज के अंग्रेजी अनुवाद की मांग तभी कर सकता हैजब वह दस्तावेज विधिक या तकनीकी प्रकृति का हैअन्यथा नहीं।

(3) यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई विशिष्ट दस्तावेज विधिक या तकनीकी प्रकृति का है या नहीं तो विभाग या कार्यालय का प्रधान उसका विनिश्चय करेगा।

(4) उपनियम (1) में किसी बात के होते हुए भीकेन्द्रीय सरकारआदेश द्वारा ऐसे अधिसूचित कार्यालयों को विनिर्दिष्ट कर सकती है जहां ऐसे कर्मचारियों द्वारा,जिन्हें हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त हैटिप्पणप्रारूपण और ऐसे अन्य शासकीय प्रयोजनों के लिएजो आदेश में विनिर्दिष्ट किए जाएंकेवल हिन्दी का प्रयोग किया जाएगा ।

9. हिन्दी में प्रवीणता-

यदि किसी कर्मचारी ने-

(क) मैट्रिक परीक्षा या उसकी समतुल्य या उससे उच्चतर कोई परीक्षा हिन्दी के माध्यम से उत्तीर्ण कर ली है;या

(ख) स्नातक परीक्षा में अथवा स्नातक परीक्षा की समतुल्य या उससे उच्चतर किसी अन्य परीक्षा में हिन्दी को एक वैकल्पिक विषय के रूप में लिया होया

(ग) यदि वह इन नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसे हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त है;

तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त कर ली है ।

10. हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान-

(1) (क) यदि किसी कर्मचारी ने-

(i) मैट्रिक परीक्षा या उसकी समतुल्य या उससे उच्चतर परीक्षा हिन्दी विषय के साथ उत्तीर्ण कर ली हैया

(ii) केन्द्रीय सरकार की हिन्दी परीक्षा योजना के अन्तर्गत आयोजित प्राज्ञ परीक्षा या यदि उस सरकार द्वारा किसी विशिष्ट प्रवर्ग के पदों के सम्बन्ध में उस योजना के अन्तर्गत कोई निम्नतर परीक्षा विनिर्दिष्ट हैवह परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है;या

(iii) केन्द्रीय सरकार द्वारा उस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई अन्य परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हैया

(ख) यदि वह इन नियमों से उपाबद्ध प्ररूप में यह घोषणा करता है कि उसने ऐसा ज्ञान प्राप्त कर लिया है;

तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है।

(2) यदि केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में कार्य करने वाले कर्मचारियों में से अस्सी प्रतिशत ने हिन्दी का ऐसा ज्ञान प्राप्त कर लिया है तो उस कार्यालय के कर्मचारियों के बारे में सामान्यतया यह समझा जाएगा कि उन्होंने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है।

(3) केन्द्रीय सरकार या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई अधिकारी यह अवधारित कर सकता है कि केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय के कर्मचारियों ने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है या नहीं।

(4) केन्द्रीय सरकार के जिन कार्यालयों में कर्मचारियों ने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है उन कार्यालयों के नाम राजपत्र में अधिसूचित किए जाएंगे;

परन्तु यदि केन्द्रीय सरकार की राय है कि किसी अधिसूचित कार्यालय में काम करने वाले और हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले कर्मचारियों का प्रतिशत किसी तारीख में से
उपनियम (2) में विनिर्दिष्ट प्रतिशत से कम हो गया हैतो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा घोषित कर सकती है कि उक्त कार्यालय उस तारीख से अधिसूचित कार्यालय नहीं रह जाएगा ।

11. मैनुअलसंहिताएंप्रक्रिया संबंधी अन्य साहित्यलेखन सामग्री आदि-

(1) केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों से संबंधित सभी मैनुअलसंहिताएं और प्रक्रिया संबंधी अन्य साहित्यहिन्दी और अंग्रेजी में द्विभाषिक रूप में यथास्थितिमुद्रित या साइक्लोस्टाइल किया जाएगा और प्रकाशित किया जाएगा।

(2) केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में प्रयोग किए जाने वाले रजिस्टरों के प्ररूप और शीर्षक हिन्दी और अंग्रेजी में होंगे।

(3) केन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय में प्रयोग के लिए सभी नामपट्टसूचना पट्टपत्रशीर्ष और लिफाफों पर उत्कीर्ण लेख तथा लेखन सामग्री की अन्य मदें हिन्दी और अंग्रेजी में लिखी जाएंगीमुद्रित या उत्कीर्ण होंगी;

परन्तु यदि केन्द्रीय सरकार ऐसा करना आवश्यक समझती है तो वहसाधारण या विशेष आदेश द्वाराकेन्द्रीय सरकार के किसी कार्यालय को इस नियम के सभी या किन्हीं उपबन्धों से छूट दे सकती है।

12. अनुपालन का उत्तरदायित्व-

(1) केन्द्रीय सरकार के प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह उत्तरदायित्व होगा कि वह--

(i) यह सुनिश्चित करे कि अधिनियम और इन नियमों के उपबंधों और उपनियम (2) के अधीन जारी किए गए निदेशों का समुचित रूप से अनुपालन हो रहा है;और

(ii) इस प्रयोजन के लिए उपयुक्त और प्रभावकारी जांच के लिए उपाय करे ।

(2) केन्द्रीय सरकार अधिनियम और इन नियमों के उपबन्धों के सम्यक अनुपालन के लिए अपने कर्मचारियों और कार्यालयों को समय-समय पर आवश्यक निदेश जारी कर सकती है ।

 


राजभाषा संबंधी कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

 

प्र.1          राजभाषा नीति को लागू करने की दृष्टि से भारत को कितने क्षेत्रों में बांटा गया है ? प्रत्येक क्षेत्र में स्थित राज्यों के नाम लिखें।

उ.         राजभाषा नियमों के अनुपालन की दृष्टि से भारतीय भू-भाग को 3 क्षेत्रों में बांटा गया है:

(क) 'क्षेत्र कसे बिहारहरियाणाहिमाचल प्रदेशमध्य प्रदेशछत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूहदिल्ली संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है;

(ख) 'क्षेत्र खसे गुजरातमहाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़दमण और दीव तथा दादरा और नगर हवेली  संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत हैं;

(ग) 'क्षेत्र गसे खंड (क) और (ख) में निर्दिष्ट राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से भिन्न राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र अभिप्रेत है;

प्र.2          हिंदी व अहिंदीभाषी राज्यों में सूचना पट्ट/नामपट्ट आदि के लिए भाषाओं को किस क्रम से लिखा जाता है ?

उ.         हिंदी भाषी राज्यों में सूचना पट्ट/नामपट्ट आदि के लिए भाषाओं का क्रम है:

हिंदीभाषी राज्यों में हिंदी पहले और अंग्रेजी बाद में।

अहिंदीभाषी राज्यों में पहले स्थानीय भाषा, फिर हिंदी और उसके बाद अंग्रेजी।

प्र.3.         सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग निर्धारित लक्ष्यानुसार सुनिश्चित करने के लिए चैक प्वॉइंट कहां-कहां स्थापित किए गए हैं ?

उ.         सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग निर्धारित लक्ष्यानुसार सुनिश्चित करने के लिए रोनियो, प्राप्ति एवं प्रेषण अनुभाग, तारघर, फैक्स केन्द्र, भण्डार तथा लेखा विभागों में चैक प्वॉइंट स्थापित किए गए हैं।

प्र.4.         हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत कर्मचारियों के लिए कौन-कौन सी परीक्षा निर्धारित है और उनका शैक्षिक स्तर क्या है ?

उ.         केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों को हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण देने के लिए निम्नलिखित तीन पाठ्यक्रम है :

                प्रबोध - यह प्रारंभिक पाठ्यक्रम है और इसका स्तर प्राइमरी स्कूल की हिंदी के स्तर के बराबर है

                प्रवीण - इसका स्तर मिडिल स्कूल की हिंदी के स्तर के बराबर है।

                प्राज्ञ - इसका स्तर हाई स्कूल की हिंदी स्तर के बराबर है।

प्र.5.         निर्धारित हिंदी परीक्षा पास करने पर किसी कर्मचारी को क्या-क्या प्रोत्साहन मिलते हैं ?

उ.         जिन कर्मचारियों ने हिंदी की परीक्षा पास नहीं की है और वे हिंदी परीक्षा पास करते हैं तो उन्हें हिंदी परीक्षा पास करने पर 12 महीने की अवधि के लिए एक वेतनवृद्धि के बराबर राशि का वैयक्तिक वेतन दिया जाता है और उच्च अंकों के साथ परीक्षा पास करने पर नकद पुरस्कार भी दिया जाता है।

प्र.6          क्या हिंदी भाषी कर्मचारियों को भी प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ परीक्षा पास करने पर कोई प्रोत्साहन देय है ?

उ.         नहीं।

प्र.7          राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किस-किस स्तर पर किया गया है ? इन समितियों की बैठक कितने समय बाद होती है।

उ.         राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन मंत्रालय, मुख्यालय, मंडल कार्यालय, कारखानों तथा स्टेशन स्तर पर किया गया है। इन समितियों की बैठक प्रत्येक तिमाही में एक बार होती है तथा वर्ष में चार बैठकें आयोजित की जानी अपेक्षित है।

प्र.8          राजभाषा कार्यान्वयन समितियां गठित करने का क्या उद्देश्य है ?

उ.         राजभाषा कार्यान्वयन समितियां गठित करने का उद्देश्य राजभाषा के प्रयोग-प्रसार की समीक्षा करना तथा कमियों को दूर करने के उपाय करना है।

प्र.9          हिंदी सप्ताह क्यों मनाया जाता है ?

उ.         सरकारी कामकाज में राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रति जागरूकता तथा इसके उत्तरोतर प्रयोग में गति लाने तथा हिंदी भाषा के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करने के उद्देश्य से हिंदी सप्ताह मनाया जाता है जिसमें राजभाषा प्रदर्शनी, विचार गोष्ठी, काव्य गोष्ठी तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

प्र.10.       कर्मचारियों को सरकारी कामकाज में हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से कौन-कौन सी पुरस्कार योजना लागू की गई है ?

उ.         रेलवे पर निम्नलिखित पुरस्कार व प्रोत्साहन योजनाएं लागू हैं-

1.             हिंदी, हिंदी टंकण तथा हिंदी आशुलिपि परीक्षाएं पास करने पर नकद पुरस्कार तथा वेतनवृद्धि लाभ।

2.             हिंदी में डिक्टेशन देने के लिए अधिकारियों को पुरस्कार।

3.             रेल मंत्री निबंध प्रतियोगिता।

4.             क्षेत्रीय/मंडल स्तर पर निबंध एवं वाक् प्रतियोगिताएं।

5.             क्षेत्रीय/मंडल स्तर पर टिप्पण एवं प्रारूप लेखन प्रतियोगिताएं।

6.             मूल हिंदी टिप्पण आलेखन पुरस्कार।

7.             सामूहिक पुरस्कार योजना।

8.             तकनीकी रेल विषयों पर हिंदी में मौलिक पुस्तकें लिखने पर पुरस्कार।

9.             प्रेमचंद पुरस्कार योजना - उपन्यास कथा साहित्य लेखन के लिए।

10.          मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार योजना - काव्य लेखन हेतु।

11.          हिन्दी में अधिकाधिक कार्य करने के लिए रेलमंत्री/महाप्रबंधक/मंडल रेल प्रबंधक स्तर पर पुरस्कार।

प्र.11.       राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के अंतर्गत आने वाले विभिन्न प्रकार के कागजातों के नाम लिखे। यह भी उल्लेख करें कि नियमानुसार उक्त कागजात को अनिवार्यतः किस भाषा में जारी किया जाना चाहिए।

उ.         राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के अंतर्गत आने वाले विभिन्न प्रकार के कागजात निम्नलिखित हैं-

1. संकल्प 2. सामान्य आदेश 3. नियम 4. अधिसूचनाएं 5. प्रशासनिक और अन्य रिपोर्ट या प्रेस विज्ञप्तियां 6. संसद के किसी सदन या सदनों के समक्ष रखी गई प्रशासनिक तथा अन्य रिपोर्ट और अन्य सरकारी कागज-पत्र 7. करार 8. परमिट

9. निविदा सूचना और उनके प्रारूप 10. संविदाएं 11. अनुज्ञप्ति या अनुज्ञा पत्र

     12. आरक्षण चार्ट।

नियमानुसार उक्त कागजात अनिवार्यतः हिंदी एवं अंग्रेजी द्विभाषी में जारी किए जाने चाहिए। इन कागजातों को द्विभाषी में जारी करने की जिम्मेदारी हस्ताक्षरकर्ता अधिकारी की होगी।

प्र.12        हिंदी में कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर्मचारियों से क्या अभिप्राय है ?

उ.         हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान   

(क)        मैट्रिक परीक्षा या उसके समतुल्य या उससे उच्चतर कोई परीक्षा हिंदी विषय के साथ उत्तीर्ण की है या केन्द्रीय सरकार की हिंदी प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत आयोजित प्राज्ञ परीक्षा या यदि उसे सरकार द्वारा किसी विशिष्ट प्रवर्ग के पदों के संबंध में इस योजना के अंतर्गत कोई निम्नतर परीक्षा विनिर्दिष्ट है, यह परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है या केन्द्रीय सरकार द्वारा उस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई अन्य परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है या?

(ख)        स्नातक परीक्षा में अथवा स्नातक परीक्षा के समतुल्य या उससे उच्चतर अन्य किसी परीक्षा में हिंदी को एक वैकल्पिक विषय के रूप में लिया था या

(ग)        यदि वह इन नियमों के उपाबद्ध प्रारूप में यह घोषणा करता है कि उसे हिंदी में प्रवीणता प्राप्त है तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि उसने हिंदी में प्रवीणता प्राप्त कर ली है।

प्र.14        संविधान की अष्टम अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं के नाम लिखें।

उ.         संविधान की अष्टम अनुसूची के अनुच्छेद 344(1) और 351 के अंतर्गत उल्लिखित भारतीय भाषाएं:-

1. असमिया 2. तमिल 3. संस्कृत  4. उड़िया 5. तेलुगु

6. सिंधी 7. उर्दू 8. पंजाबी 9. हिंदी 10. कन्नड़ 11. बांग्ला 12. कोंकणी 13. कश्मीरी 14. मराठी 15. नेपाली       

16. गुजराती 17. मलयालम 18. मणिपुरी 19. बोडो 20. संथाली 21. डोगरी       22. मैथिली

प्र.15        हिंदी दिवस कब मनाया जाता है और क्यों ?

उ.         हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है क्योंकि 1949 में इसी दिन को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इस अवसर पर हिंदी का कामकाज बढ़ाने के लिए हिंदी सप्ताह/पखवाड़े का आयोजन किया जाता है। हिंदी में अच्छा काम करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहन भी किया जाता है।

प्र.16        राजभाषा से क्या अभिप्राय है ?

उ.         संघ द्वारा सरकारी कामकाज के लिए अंगीकार की गई भाषा को राजभाषा माना गया है। भारत सरकार ने राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया है जिसकी लिपि देवनागरी होगी तथा संघ के सरकारी प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।

प्र.17        केन्द्रीय हिंदी समिति का अध्यक्ष कौन होता है ?

उ.         केन्द्रीय हिंदी समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।

प्र.18        राजभाषा नियमों के अनुसार किन-किन पत्रों/आवेदनों का उत्तर हिंदी में देना अनिवार्य है ?

उ.         राजभाषा नियमों के अनुसार हिंदी में प्राप्त व हस्ताक्षरित पत्रों/आवेदनों का उत्तर हिंदी में देना अनिवार्य है।

प्र.19        यदि अधिकारी हिंदी में डिक्टेशन देते हैं तो उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप कितनी राशि देय है ?

उ.         अधिकारियों द्वारा हिंदी में डिक्टेशन दिए जाने पर उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप 5000/- रुपये की एक मुश्त राशि दी जाती है। अहिंदी भाषी तथा हिंदी भाषी अधिकारियों को वर्ष के दौरान क्रमशः 10,000 तथा 20,000 शब्दों की डिक्टेशन हिंदी में देने पर यह पुरस्कार देय है।

प्र.20        राजभाषा नियमों के अन्तर्गत किस प्रकार के कार्यालय को अधिसूचित किया जा सकता है ?

उ.         यदि किसी कार्यालय में कार्य करने वाले कर्मचारियों में से 80 प्रतिशत ने हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया है तो उस कार्यालय को अधिसूचित किया जाता है।

प्र.21        राष्ट्रभाषा और राजभाषा में क्या अंतर है ?

उ.         राजभाषा वह भाषा है जिसे संघ अथवा कोई राज्य अथवा सरकार विधि द्वारा अपने सरकारी कामकाज में प्रयोग के लिए स्वीकार कर ले। यह किसी राज्य में एक से अधिक भी हो सकती है। संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल सभी 22 भारतीय भाषाएं राष्ट्रभाषाएँ कहलाती हैं। ये भाषाएं विभिन्न प्रयोजनों के लिए उपयोग की जाती है।

प्र.22        भारतीय संविधान के अनुसार राजभाषा हिन्दी कब से लागू है ?

उ.         भारतीय संविधान  के अनुसार राजभाषा हिन्दी 14 सितम्बर, 1949 से लागू है।

प्र.23        अष्टम अनुसूची में किन-किन भाषाओं को बाद में जोड़ा गया है ?

उ.         1.  बोडो   2.   संथाली   3.   मैथिली और   4.डोगरी

 

 

 

 

 

पुरस्कार विवरण

 

लाल बहादुर शास्त्री तकनीकी मौलिक लेखन पुरस्कार योजना

इस योजना के तहत सात प्रथम – 20000/- 1, द्वितीय - 10000/- 1 , तृतीय - 7000/- 1

रेल कर्मियों की साहित्यिक प्रतिभा को बढ़ावा देने तथा तकनीकी रेल विषयों पर अधिकाधिक पुस्तकें उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से यह योजना लागू है। इस योजना में रेलों से इतर व्यक्ति भी शामिल हो सकते हैं।

मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार योजना (काव्य संग्रह के लिये) प्रथम - 20000/- 1, द्वितीय - 10000/- 1 , तृतीय - 7000/- 1

प्रेमचंद पुरस्कार योजना (कहानी संग्रह/ उपन्यास के लिये) प्रथम - 20000/- 1, द्वितीय - 10000/- 1 , तृतीय - 7000/- 1

रेल मंत्री राजभाषा व्यक्तिगत नकद पुरस्कार योजना- 134 पुरस्कार 3000/- रु. प्रत्येक सरकारी कामकाज में हिंदी का अधिकाधिक व प्रशंसनीय प्रयोग करने के लिये कनिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड तक के अधिकारी तथा अराजपत्रित वर्ग के लिये (प्रत्येक रेल कार्यालय का कोटा निर्धारित)

अखिल रेल हिंदी टिप्पण एवं प्रारूप लेखन प्रतियोगिता

श्रेणी II के अधिकारियों तथा अराजपत्रित वर्ग के लिये जिसमें हिंदी भाषी एवं अहिंदी भाषी सभी कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। सर्व प्रथम क्षेत्रीय स्तर पर आयोजन तत्पश्चात अखिल रेल स्तर पर। आयोजन। क्षेत्रीय स्तर पर कुल 6 पुरस्कार प्रथम पुरस्कार 2000/- द्वितीय 1600/- तृतीय 1200/- तथा 3 सांत्वना पुरस्कार 800/- प्रत्येक। अखिल रेल स्तर पर कुल 8 पुरस्कार प्रथम पुरस्कार 5000/-, द्वितीय 4000/-, तृतीय 3000/-, तथा 5 प्रेरणा पुरस्कार 2500/- /- प्रत्येक प्रदान किये जाते हैं।

10           अखिल रेल हिंदी निबंध प्रतियोगिता

श्रेणी II के अधिकारियों तथा अराजपत्रित वर्ग के लिये जिसमें हिंदी भाषी एवं अहिंदी भाषी सभी कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। सर्व प्रथम क्षेत्रीय स्तर पर आयोजन तत्पश्चात अखिल रेल स्तर पर। आयोजन। क्षेत्रीय स्तर पर कुल 6 पुरस्कार प्रथम पुरस्कार 2000/- द्वितीय 1600/- तृतीय 1200/- तथा 3 सांत्वना पुरस्कार 800/- प्रत्येक। अखिल रेल स्तर पर कुल 8 पुरस्कार प्रथम पुरस्कार 5000/-, द्वितीय 4000/-, तृतीय 3000/-, तथा 5 प्रेरणा पुरस्कार 2500/- /- प्रत्येक प्रदान किये जाते हैं।

11           अखिल रेल हिंदी वाक् प्रतियोगिता

श्रेणी II के अधिकारियों तथा अराजपत्रित वर्ग के लिये जिसमें हिंदी भाषी एवं अहिंदी भाषी सभी कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। सर्व प्रथम क्षेत्रीय स्तर पर आयोजन तत्पश्चात अखिल रेल स्तर पर। आयोजन। क्षेत्रीय स्तर पर कुल 6 पुरस्कार प्रथम पुरस्कार 2000/- द्वितीय 1600/- तृतीय 1200/- तथा 3 सांत्वना पुरस्कार 800/- प्रत्येक। अखिल रेल स्तर पर कुल 8 पुरस्कार प्रथम पुरस्कार 5000/-, द्वितीय 4000/-, तृतीय 3000/-, तथा 5 प्रेरणा पुरस्कार 2500/- /- प्रत्येक प्रदान किये जाते हैं।

13           हिंदी का सर्वाधिक प्रयोग करने वाले विभागों के लिये सामूहिक पुरस्कार योजना मंडल / कारखाना / विभाग के प्रत्येक विभाग को एक यूनिट बनाना

विभागों के लिये  प्रथम (6)12000/- द्वितीय(5) 8000/- तृतीय(5) 6000/

14         रेल यात्रा वृत्तांत पुरस्कार योजना इस योजना में सभी भारतीय नागरिक भाग ले सकते हैं। वृत्तांत कम से कम 3000 शब्दों का हो। पुरस्कार प्रथम 10000/- द्वितीय 8000/- तृतीय 6000/ तथा (5) प्रेरणा पुरस्कार 4000/-

15.          रेल मंत्री हिंदी निबंध प्रतियोगिता इस योजना के अंतर्गत राजपत्रित और अराजपत्रित वर्गों  के लिए 2-2 पुरस्कार निर्धारित हैं। निबंध रेल संचालन एवं प्रबंधन विषय से संबंधित होता है। इसमें वे रेल कर्मी भाग ले सकते हैं, जिनकी सेवा 03महीने पूरी हो चुकीहो।( प्रत्येक वर्ष के 31 जनवरी तक हिंदी निबंध भेजे जाते हैं।

1. राजपत्रित प्रथम -6000/- रुपये  द्वितीय -4000/-रुपये  एवं प्रमाण-पत्र

2. अराजपत्रित प्रथम -6000/- रुपये  द्वितीय -4000/-रुपये  एवं प्रमाण-पत्र      

16           हिंदी डिक्टेशन पुरस्कार योजना - गृह मंत्रालय की इस योजना में न्यूनतम शब्दों  की कोई शर्त नहीं है। प्रत्येक कार्यालय से क्रमशः एक हिंदी भाषी जिसका घोषित निवास स्थान "" एवं "" क्षेत्र  में हो और एक गैर हिंदी भाषी जिसका घोषित निवास स्थान "ग"  क्षेत्र में हो कुल 2 अधिकारियों 5000/- 5000/- रुपए का नकद पुरस्कार देय होगा। कार्यालय की परिभाषा   जिसका स्थानीय मुख्य अधिकारी विभागाध्यक्ष अथवा कार्यालयाध्यक्ष घोषित किया गया हो अर्थात प्रत्येक विभाग से दो-दो अधिकारियों को पुरस्कृत किया जा सकता है, बशर्ते वे अधिकारी हिंदी में डिक्टेशन देते हों।

17           सरकारी कामकाज (टिप्पण एवं प्रारूप लेखन) मूल रूप से हिंदी में करने के लिये पुरस्कार योजना इस योजना में "" तथा "" क्षेत्र में कम से कम 20,000 शब्द तथा "" क्षेत्र में कम से कम 10,000 शब्द मूल रूप से हिंदी में टिप्पण एवं प्रारूप लेखन लिखने पर

केंद्रीय सरकार के प्रत्येक अधीनस्थ कार्यालय में स्वतंत्र रूप से मंत्रालय विभाग/संबद्ध कार्यालय         

( प्रत्येक इकाई के लिये)

प्रथम पुरस्कार 5000/-  2 पुरस्कार    द्वितीय पुरस्कार 3000/- 3 पुरस्कार   तृतीय पुरस्कार 2000/-  5 पुरस्कार                                                    

18           टंककों / आशुलिपिकों को मानदेय

अंग्रेजी आशुलिपिक एवं टंकक में भर्ती कर्मचारी जो अंग्रेजी कार्य के साथ-साथ 5 पत्र / टिप्पणियां प्रतिदिन हिंदी में करने वाले इस योजना के पात्र होंगे आशुलिपिक 240/- रुपए प्रतिमाह टंकक    160/- रुपए प्रतिमाह विशेष वेतन। प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ तथा हिंदी टाइपिंग व आशुलिपि परीक्षा निर्धारित प्रतिशत अंक के साथ पास करने पर 1 वेतनवृद्धि के समकक्ष वैयक्तिक वेतन अहिंदी भाषी 1+2 वर्ष

 

 

19           राजभाषा  गौरव पुरस्कार योजना (गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग की योजना) –भारत के नागरिकों को हिंदी में ज्ञान- विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार  प्रथम(01), 2,00,000/- द्वितीय (01) 1,25,000/- , तृतीय (01)75,000/- व प्रोत्साहन (10) 10,000/-

20         राजभाषा  गौरव पुरस्कार योजना (गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग की योजना) – केन्द्र सरकार के कार्मिकों (सेवानिवृत्त सहित)को हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार  प्रथम(01) 1,00,000/- द्वितीय (01) 75,000/- , तृतीय (01)60,000/- व प्रोत्साहन (01) 30,000/-

21         राजभाषा  गौरव पुरस्कार योजना (गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग की योजना) – केन्द्र सरकार के कार्मिकों (सेवानिवृत्त सहित)को हिंदी में उत्कृष्ट लेख के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार  प्रथम(01) हिंदी भाषी 20,000/- अहिंदी भाषी 25,000/- द्वितीय (01) हिंदी भाषी 18,000/- अहिंदी भाषी 22,000 , तृतीय (01) हिंदी भाषी 15,000/-  अहिंदी भाषी 20,000/-

 

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