राजभाषा नेट के माध्यम से हिन्दी ओसीआर का एक सरल एवं रोचक प्रयोग प्रस्तुत है। ओसीआर वह विधि है जिससे प्रिंट की गई सामग्री को टैक्स्ट या टाइप योग्य सामग्री में बदला जा सकता है जिससे उसका संपादन या पुनः मुद्रण किया जा सकता है। हिंदी में कोई मुद्रित (प्रिंटेड) सामग्री है और हमें उसे टाइप करना है लेकिन सामग्री बड़ी है या हमारी टाइप करने की गति कम है या ऐसा ही कोई अन्य कारण है तो यह विधि बहुत ही काम की है।
चित्रात्मक रूप जेपीजी या पीएनजी (स्कैन की गई हिंदी सामग्री) को गूगल ड्राइव में अपलोड कर देवें। वहां भी मूल रूप से जेपीजी या पीएनजी में ही रहेगी लेकिन इसे गूगल डॉक के माध्यम से खोलने पर यह चित्र में आए शब्द टैक्स्ट के रूप में बदल जाएंगे जिन्हें डॉक या टैक्स्ट माध्यम से फाइल में सेव कर टाइप करने के श्रम से बचा जा सकता है। चित्र या स्कैन साफ होने चाहिए यह एकमात्र शर्त है।
वैदिक पुस्तक के इस चित्र vaidiksookt.jpg को गूगल ड्राइव में अपलोड करते हैं। गूगल ड्राइव के लिए गूगल Gmail account के माध्यम से लॉगइन कर सकते हैं। https://drive.google.com/ पर जाकर चित्र स्कैन सामग्री को अपलोड करना है तथा चित्र को “राइट क्लिक” कर “ओपन विद” के विकल्प में से गूगल डॉक का चयन करने पर यह सामग्री टैक्स्ट में प्राप्त हो गई है।
मध्वो रसं सुगभस्तिः गिरिष्ठां चनिश्चदत् दुदुहे शुकं अंशुम्।। १०.४३.४
असावि अंशुः मदाय अप्सु धूतो नृभिः सुतः।। ६.६२.४
अंशुः यवेन पिपिशे यतो नृभिः सं जामिभिः नसते रक्षते शिरः।। ६.६८.४
आपूर्णो अंशः पर्येति विश्वतः।। ६.७४.२
अरावीत् अंशुः सचमान ऊर्मिणा...६.७४.५
मध्वो अंशुः पवत इन्द्रियाय।। ६.८६.६
वृषा वृष्णे रोरुवत् अंशुः अस्मे...६.६१.३
परिसुवानो हरिः अंशुः पवित्रे रथो न सर्जि सनये हियानः।। ६.६२.१
यस्ते द्रप्सः स्कन्दति यस्ते अंशुः बाहुच्युतः धिषणाया उपस्थात्।। १०.१७.१२
यः ते द्रप्सः स्कन्नः यः ते अंशुः अवश्च यः परः श्रुचा।
अयं देवो बृहस्पतिः सं तं सिंचन्तु राधसे।। १०.१७.१३
वृषा वो अंशुः न किला रिषाथन १०.६४.१०