यह टैब भी अंग्रेज है

बहुत दिनों से एंडरोइड गूगल फोन टैब व मोबाइल की चर्चा सुनने को मिल जाती है , जब से नेट साइट तथा फेसबुक पर सक्रियता बढ़ी है तब से हिंदी में खुद टाइप करने का अभ्यास भी बढ़ा है तो यह पहला सवाल रहता था कि यह टैब हिंदी में काम कैसा करता है। सवाल का जवाब या तो न में मिलता रहा या "पता नहीं" पर यहां गेम मजेदार हैं, नेट पर चैट बढ़िया है, फोटो के लिए दो कैमरे हैं एक तो तीन या पाँच मैगा पिक्सल का है, इस तरह की बातें होती रहीं। चूंकि फोन ठीक-ठाक काम कर रहा था इसलिए भी ध्यान अधिक इस तरफ गया नहीं लेकिन परीक्षा बाद बच्चों ने भी जब टैब मोबाइल की बात करनी आरंभ की तो लगा कि यह टैब बाबा या गूगल फोन को देखा जाए। यदि नेट सही चलता हो तो प्रवास के दौरान लिखकर व फोटो सहित विवरण पाठकों तक पहुंचाना भी हो जाएगा। वैसे भी अधिकांश लोग फोन के प्लान देखकर 2-3 नंबर रख लेते हैं (जो अधिकतर मिलते नहीं हैं) सो एक नंबर और बढ़ जाएगा जो नेट के काम आ जाएगा तथा जरूरत पड़ने पर फोन भी कर लेंगे। कुछ इस तरह का मन बनाकर मोबाइल जरा बड़ी स्क्रीन के देखे जिसमें लिखा क्या है पढ़ने में सुविधा हो सके। पर यह इतना आसान न था जो बड़ी स्क्रीन के थे वे बड़ी रकम के भी थे जिसे लगाने का मन नहीं होता था और छोटी स्क्रीन पसंत नहीं आती थी। सो मन को समझा दिया कि अभी भी भारत में मोबाइल सबके पास नहीं हैं और कंप्यूटर तो और भी कम हैं। इस तरह कुछ दिन और निकल गए। पर संयोग ऐसा हुआ कि अनुज का ऑस्ट्रेलिया से आने का कार्यक्रम बना तो बच्चों ने टैब की फरमाइश कर ही दी और मना करने की इच्छा को दबा लिया जिसका परिणाम यह हुआ कि गूगल टैब मोबाइल बाबा घर पहुंच ही गए। पहले तो बच्चों तथा बड़ों ने खूब फोटो खींची तथा मिटाई। फिर वीडियो भी रिकॉर्ड किए तथा वे भी अधिकांश मिटाए गए। फिर गूगल प्ले स्टोर साइट से बहुत सी apk डाउनलोड हुई तथा गूगल मैप पर लोकेशन की जांच भी जीपीएस से हुई। यह तो मानना पड़ा कि घर के 20 मीटर तक की पहुंच दिखा कर गूगल टाब बाबा ने यह तो मनवा ही लिया कि वह वाई फाई से बहुत दूर तक निकट की पहुंच बना रहा है। गूगल की मेल ने जिस तरह कमाल के विकल्प प्रयोक्ताओं को दिए थे उससे कम नहीं था गूगल मैप और फिर यह लोकेशन तो छाया की तरह राहू केतु की याद दिलाने वाला लगा। छोटी सी एप्लीकेशन में फाइलें संपादित करने की क्षमता वाले सोफ्टवेयर तथा कई स्तर के गेम मनोरंजन से आगे की तरफ ले जाने वाले हैं। हर तरह से बढ़िया काम करता हुआ तथा USB कीबोर्ड से जुड़ा टैब जब पास आया तो पहली उत्सुकता यह थी कि हिंदी चलती है या नहीं जिसमें पहला भाग नेट की हिंदी साइट को पढ़ने का था। यहां धक्का लगा कि हिंदी के फोंट का आभाव होने से इसमें छोटे डिब्बे दिखाई दिए। दोबारा डेस्कटॉप पर जाकर खोज की तो पता चला कि विदेशों में हिंदी की आवश्कता नहीं है तो देश में भी लोगों को खास आवश्यकता नहीं है। फिर भी कुछ लोगों ने नेट पर लिखा कि गूगल को एंडरोइड में हिंदी का सपोर्ट डालना चाहिए था, कुछ भारतीय (मल्टीनेशनल लेकिन भारत में भी कार्यरत) फोन निर्माताओं ने हिंदी के फोंट डाले हैं जिससे मेल, नेट व एस एम एस हिंदी में कर सकते हैं। अब मन मारकर उनको देखना पड़ा वहां हिंदी तो है पर मात्राएं, आधे अक्षर तथा क्ष त्र ज्ञ सही नहीं दिख रहे हैं। विक्रेता भी आश्चर्य से देखता है कि हां हिंदी दिख तो अजीब रही है पर बाकि लोगों से हमारा टैब बढ़िया है। हां कीमत भी बाकियों से बहुत बढ़िया है कहने की इच्छा पूरी कर ही ली। फिर इस तरह की हिंदी है तो लिखने के लिए की बोर्ड कहां है। वह तो नहीं है, पर टच स्क्रीन है न, इस पर आ जाता है समझाने की एक बार कोशिश की फिर कहने से नहीं चूका थोड़ा और इंतजार करें हिंदी भी बढ़िया होगी तथा कीमत भी बढ़िया लगेगी। फिर से उसी डेस्कटॉप पर पहुंच गए और खोजबीन जरा गहराई तक की तो पता चला कि हिंदी के फोंट "रूट" करके डाले जा सकते हैं। कई वर्ष पहले लीनक्स के ओपन सोर्स Ubuntu की याद आई जहां SUDO को रूट की तरह काम लेकर विंडो के हिंदी फोंट इंस्टाल किए थे। अब तक सभी कमांड भूल चुके थे सो डाउनलोड कर कई एप्लीकेशन लेकर रूटेड कर टैब में हिंदी तो चला ली पर वह वैसी ही दिख रही थी जैसी कंपनी के मोबाइल टैब दिखा रहे थे। इसके बाद जरा खोजबीन बढ़ाई तो फर्मवेयर को फ्लैशिंग करने की बात पता चली। दुबारा मैनुल को खोला व उसके विवरणों से मिलता हुआ फर्मवेयर डाउनलोड कर फ्लेशिंग भी कर अपग्रेड भी कर लिया। इस बीच अनेक वैब फोरम देख चुके थे तो यह समझ आ गया कि की बोर्ड ले आउट कैसे बनता है तथा वह कहां डालने से विर्चुअल टच स्क्रीन की बोर्ड बन जाता है। किसी तरह से उसे भी बना लिया तथा अपने पुराने तमिल मित्र को फोंट रेंडरिंग की समस्या बता कर दुबारा से एक्सटेंशन बनाने के लिए कहा जो फायरफॉक्स में लगाकर हिंदी की रेंडरिंग सही करने के लिए 6 साल पहने बनवाया था। तमिल वाला मित्र कहने लगा कि अभा तो तमिल का भी न बना पाया हूँ पर कोशिश अधिक करूंगा। इस बार उसने एक बात कही कि एक फोन ऐसा देखा है जहां ब्राउजर पर सही फोंट रेंडर होने से एकदम सही दिख रहे हैं। विश्वास तो नहीं हुआ पर उसने वह फोन लेकर तथा ब्राउजर में जांच कर यह कहा कि एंड्रोइड में कुछ फाइलें डालने से ब्राउजर पर तो सही आ सकता है लेकिन सिस्टम में भाषा के बदलाव के लिए कुछ और भी करना होगा जो इस मोबाइल की फाइलें देखकर करूंगा। मजेदार बात देखें कि एक छोटी कंपनी अपने फोन पर जो काम महीनों पहले कर चुकी है वह गूगल तथा बड़े-बड़े भारतीय टैक नहीं कर पाए क्योंकि इनकी इस तरफ रुचि न थी न ही स्थानीय भाषाओं वाले ग्राहकों की मांग थी। एक तरफ क्रोशिया जैसे छोटे देश की भाषा में काम हो सकता है लेकिन भारत में करोड़ो क्षेत्रीय भाषी उपयोगकर्ता पांच छः भाषाएं विशेषकर हिंदी जो भारत सरकार की राजभाषा कही जाती है के लिए स्वयं कुछ न कर सके व सरकार भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। खैर वह फाइलें मेल से मिलने पर ब्राउजर में हिंदी एकदम सही दिखाई दी तो जल्दी से की बोर्ड भी USB पर लगा कर टाईप करने की कोशिश करते ही पता चला कि भाषा आप चाहे हिंदी चुनें या चीनी, जर्मन चुनें या रूसी कीबोर्ड से तो अंग्रेजी में ही टाइप होगी अभी तक एंडरोइड अंग्रेज ही है।

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